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कभी हंसाती थी अब रुलाने लगी है। यादें मयखाने में र

कभी हंसाती थी अब रुलाने लगी है।
यादें मयखाने में रोज बुलाने लगी है।
कसम तो खाई थी साथ जीने मरने की
पर वो किसी औऱ से निभाने लगी है।

©pagal premi #NationalSimplijkkcityDay
कभी हंसाती थी अब रुलाने लगी है।
यादें मयखाने में रोज बुलाने लगी है।
कसम तो खाई थी साथ जीने मरने की
पर वो किसी औऱ से निभाने लगी है।

©pagal premi #NationalSimplijkkcityDay