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लगता है बचपन में टीचर ने मेरे हाथ पर इतने डंडे मा

लगता है  बचपन में टीचर ने मेरे
हाथ पर इतने डंडे मारे हैं
की मेरे हाथ से गर्लफ्रेंड नामक 
रेखा ही मिट गया है पथिक रामाश्रित minaक्षी goyल Sachin Singh Bharat Ratna ( Bharat mata ki jay)
लगता है  बचपन में टीचर ने मेरे
हाथ पर इतने डंडे मारे हैं
की मेरे हाथ से गर्लफ्रेंड नामक 
रेखा ही मिट गया है पथिक रामाश्रित minaक्षी goyल Sachin Singh Bharat Ratna ( Bharat mata ki jay)