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मौसम की बेरुखी जाने कैसी है आए मौसम को बरसाने न द

मौसम की बेरुखी जाने कैसी है 
आए मौसम को बरसाने न दिया 
अभी भी रोक के बैठी है
कभी तो बेमौसम भी दिल खोल के बरसी है
कभी बारिश रोकने के लिए ये जमीं तरसी है
पर लगता है इस बार भी 
चाल तुम्हारी साल पुरानी है 
जो पहले हुआ बही बात दोहरानी है
 लेकिन कोई बात नही
अभी जमीं तुमपे एतबार कर के बैठी है
अभी उसमें तलब तेरी 
जिस्म में रूह जैसी है

©Rajender
  #lightning 
#mausam 
#winterwithoutsnow