कहो कौन सी आग है तुम में? लौ लपट चिराग है तुम में? मैं गरम लू सी बातों में भी शीत लहर को कहती हूं।। कहो कौन सवाल है तुम में? क्यों बेनर्मी के ताल हैं तुम में? इस मुंह देखी की प्रीत को भी मैं मधुर स्वर संगीत कहती हूं तुम गए बस निशान ये ठहरे रक्त-रिसाव घाव ये गहरे अब खुले बदन जाड़े में भी मैं रेशम को पहना करती हूं मैं दुनिया की तीव्र-गति से अक्सर उलट अकेले बहती हूं।। #abir