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वक़्त पड़े पर तुम मुझसे बताना ज़रूर मैं तुम्हारे

वक़्त पड़े पर तुम मुझसे बताना ज़रूर 
मैं तुम्हारे दुखती रागों पर हाथ रखूंगा जरूर 
ज़रुरत और समय आने पर वही लोग  
सॉरी दोस्त!  मैं तुम्हारी कोई भी मदद नहीं कर सकता हूँ 
क्योंकि मैं हूँ थोड़ा सा मजबूर 
वक्त-वक्त की बात है साहब 
ये वक्त कभी गैरों को भी अपना 
और कभी-कभी अपनों को भी गैर बना देती है

©सुशांत राजभर
  #Exploration #Shayri #Waqt 
#Zaroor #Mazboor

वक़्त पड़े पर तुम मुझसे बताना ज़रूर 
मैं तुम्हारे दुखती रागों पर हाथ रखूंगा जरूर 
ज़रुरत और समय आने पर वही लोग  सॉरी दोस्त!  मैं तुम्हारी कोई भी मदद नहीं कर सकता हूँ 
क्योंकि मैं हूँ थोड़ा सा मजबूर 
वक्त-वक्त की बात है साहब

#Exploration #shayri #Waqt #Zaroor #mazboor वक़्त पड़े पर तुम मुझसे बताना ज़रूर मैं तुम्हारे दुखती रागों पर हाथ रखूंगा जरूर ज़रुरत और समय आने पर वही लोग सॉरी दोस्त! मैं तुम्हारी कोई भी मदद नहीं कर सकता हूँ क्योंकि मैं हूँ थोड़ा सा मजबूर वक्त-वक्त की बात है साहब

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