मुझसे नई शुरुआत करने को कहकर वो गया है इस गाँव से दूर किसी शहर वो गया है नया जंगल कोई शायद उसे मिल गया है छोड़ इसीलिए ये शज़र वो गया है नज़रों में ही रखा सदा उसे हमने छोड़ कर दूर फेर नज़र वो गया है ढूंढा हर सम्त, हर डगर उसको यूँ तो खुदा ही जाने किधर वो गया है गुज़ारिशें उससे और खुदा से करता हूँ रोज़ लौट आये वो वापस चाहे जिधर वो गया है रहना था उसको भी तो साथ सदा तो क्यूँ अकेला फिर छोड़ कर वो गया है ©Prashant Shakun "कातिब" शजर = पेड़ सम्त = दिशा #ज़िंदगी_के_किस्से #पुरानी_यादें #डायरी_के_पिछले_पन्नों_से #प्रशांत_शकुन_कातिब