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इल्जामों से घिरा किरदार है मेरा सजाएं भी बेशुमार म

इल्जामों से घिरा किरदार है मेरा
सजाएं भी बेशुमार मिली है
मैं कब क्या कर देती हूं मालूम नही
तभी तो सारे गुनाहों पे हक है मेरा

कम्बक्त होश ही नहीं रहता मुझे
तेरे इश्क के नशे में जो रहने लगी हूं
तेरी नफरत की सलाखों के पिछे ही ठीक हूं मै
वक्त ही नहीं मिलता ज़मानत करवाने का मुझे

दर्द सहने की आदत हो गई है
महफिलें भी तन्हाइयों से मिलने लगी है
अब आंखे बस देखने का काम करती है
 ये मुस्कुराहट आंसू छुपाना सिख गई है

उम्रकैद हो जाए तेरे इश्क में तो अच्छा है
मैं भी तेरे नाम से पहचान बना लूंगी
मेरे हर गुनाह का चसमदीद गवाह सिर्फ तू है
तू सच्ची गवाही ही दे अदालत में तो अच्छा है

©Meenu Dalal@185
  #185

185 #Shayari

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