सुगंध लहराते सरसों के खेतों की गुंजन कोयल के मधुर गीतों की, सुंगध फूलों से भरी डालियों की गुंजन फूलों पर मंडराती भवरों की, सुगंध महकती गेदों के फूलों की गुंजन चह-चहाती हुई गौरैयों की, सुगंध हवाओं की हसीं वादियों की गुंजन खिलती उड़ती तितलियों की, आई बेला हर्ष, यौवन, साज श्रृंगार की आई बेला प्रीत, प्यार, मिलनसार की। _पूनमसिंह सुगंध लहराते सरसों के खेतों की गुंजन कोयल के मधुर गीतों की, सुंगध फूलों से भरी डालियों की गुंजन फूलों पर मंडराती भवरों की, सुगंध महकती गेदों के फूलों की गुंजन चह-चहाती हुई गौरैयों की,