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*कलंकित प्रेम को पावन करने आजा* वृंदावन को कान्हा

*कलंकित प्रेम को पावन करने आजा*

वृंदावन को कान्हा फिर से तेरे बंशी सुर की आस है,
मोर पंख को कान्हा तेरे मुकुट पर सजने का ख्वा़ब है,
ए कान्हा गलियां पुकारती है गोकुल और मथुरा की तुम्हे,
अवतार ले मटकी फोड़ गोपियों से रास रचाने आ जा,
यमुना तट पर इंतजार करती है राधा की स्मृतिया कई ,
ए कान्हा राधा संग प्रीत की स्मृतियों का उद्वार करने आजा,
द्वारिका तेरी राह निहारे,
गिरिधर बन मेड़ता भक्ति मीरा की स्वीकार करने आजा,
गोवर्धन तेरे स्पर्श को व्याकुल ,तू उसकी व्याकुलता को हरने आजा,
कलंकित हुआ प्रेम आज फिर,ए कान्हा अवतार ले तू फिर प्रेम को पावन करने आजा!
 #*कलंकित प्रेम को पावन करने आजा*

वृंदावन को कान्हा फिर से तेरे बंशी सुर की आस है,
मोर पंख को कान्हा तेरे मुकुट पर सजने का ख्वा़ब है,
ए कान्हा गलियां पुकारती है गोकुल और मथुरा की तुम्हे,
अवतार ले मटकी फोड़ गोपियों से रास रचाने आ जा,
यमुना तट पर इंतजार करती है राधा की स्मृतिया कई ,
ए कान्हा राधा संग प्रीत की स्मृतियों का उद्वार करने आजा,
*कलंकित प्रेम को पावन करने आजा*

वृंदावन को कान्हा फिर से तेरे बंशी सुर की आस है,
मोर पंख को कान्हा तेरे मुकुट पर सजने का ख्वा़ब है,
ए कान्हा गलियां पुकारती है गोकुल और मथुरा की तुम्हे,
अवतार ले मटकी फोड़ गोपियों से रास रचाने आ जा,
यमुना तट पर इंतजार करती है राधा की स्मृतिया कई ,
ए कान्हा राधा संग प्रीत की स्मृतियों का उद्वार करने आजा,
द्वारिका तेरी राह निहारे,
गिरिधर बन मेड़ता भक्ति मीरा की स्वीकार करने आजा,
गोवर्धन तेरे स्पर्श को व्याकुल ,तू उसकी व्याकुलता को हरने आजा,
कलंकित हुआ प्रेम आज फिर,ए कान्हा अवतार ले तू फिर प्रेम को पावन करने आजा!
 #*कलंकित प्रेम को पावन करने आजा*

वृंदावन को कान्हा फिर से तेरे बंशी सुर की आस है,
मोर पंख को कान्हा तेरे मुकुट पर सजने का ख्वा़ब है,
ए कान्हा गलियां पुकारती है गोकुल और मथुरा की तुम्हे,
अवतार ले मटकी फोड़ गोपियों से रास रचाने आ जा,
यमुना तट पर इंतजार करती है राधा की स्मृतिया कई ,
ए कान्हा राधा संग प्रीत की स्मृतियों का उद्वार करने आजा,