मुझसे जो हो सकता था, सौभाग्य रहा एक अकेला मानव ही का भाग्य रहा जब मेरी आवश्यकता पड़ गई दुनिया को दो हाथ, हाथ नहीं, मानविय सौगात रहा धर्मनिष्ठ आलोचक जब तुमने बुलाये बलिदान मानव का आबाद रहा गीता पर हाथ रखकर प्रतिज्ञा दिलाई कठिनाई ही मानव का सदभाव रहा मुझसे जो हो सकता था, स्वतंत्र रहा एक अकेला मानव ही का गणतंत्र रहा अपने बस का ही सब करते हैं। #napowrimo का आज 21वाँ दिन है। #मुझसेजोहोसकताथा वो मैंने किया। #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #विप्रणु #yqdidi #musings #miscellaneous