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#OpenPoetry एक अजनबी दस्तक दे गई दिल पे, दिल ने दर

#OpenPoetry एक अजनबी दस्तक दे गई दिल पे,
दिल ने दरवाजा खोला,अंदर बुलाया,
लेकिन चेहरा न देख पाया।
सोचा देख लिया तो प्यार हो जाएगा।

फिर बारी आई उसके जाने की,
वो जाने लागी,दिल को धड़काने लगी।
फिर दिल ने सोचा देख लूं एक बार उस अजनबी को,
शायद रुक जाए,अंदर आए और फिर कभी ना जाए।

अब दिल ने उसे अपना बनाने का ठाना,
फिर अजनबी के दिल का हाल जाना।

वक्त था अब हाथ में हाथ डालने की,
दिल ने हाथ बढ़ाया,पर अजनबी हिचकिचाई।
दिल टूट सा गया,अजनबी से रूठ सा गया।
भरोसा उठ गया प्यार से
बाहर आ गया वो सपनो वाले बाहों के घेरे से,
दोस्ती हो गया अब अंधेरे से।
।
और एक दिन फिर अजनबी दस्तक दे गई,
दिल ने दरवाजा खोला,
अजनबी को देख कुछ ना बोल पाया।
फिर अजनबी हाथ बढ़ाई,दिल ने हाथ थाम लिया।
ऐसा लगा जैसे अंधेरे में किसी ने फिर से दीपक जला दिया........ #OpenPoetry
#OpenPoetry एक अजनबी दस्तक दे गई दिल पे,
दिल ने दरवाजा खोला,अंदर बुलाया,
लेकिन चेहरा न देख पाया।
सोचा देख लिया तो प्यार हो जाएगा।

फिर बारी आई उसके जाने की,
वो जाने लागी,दिल को धड़काने लगी।
फिर दिल ने सोचा देख लूं एक बार उस अजनबी को,
शायद रुक जाए,अंदर आए और फिर कभी ना जाए।

अब दिल ने उसे अपना बनाने का ठाना,
फिर अजनबी के दिल का हाल जाना।

वक्त था अब हाथ में हाथ डालने की,
दिल ने हाथ बढ़ाया,पर अजनबी हिचकिचाई।
दिल टूट सा गया,अजनबी से रूठ सा गया।
भरोसा उठ गया प्यार से
बाहर आ गया वो सपनो वाले बाहों के घेरे से,
दोस्ती हो गया अब अंधेरे से।
।
और एक दिन फिर अजनबी दस्तक दे गई,
दिल ने दरवाजा खोला,
अजनबी को देख कुछ ना बोल पाया।
फिर अजनबी हाथ बढ़ाई,दिल ने हाथ थाम लिया।
ऐसा लगा जैसे अंधेरे में किसी ने फिर से दीपक जला दिया........ #OpenPoetry