मेरा मन था उस महफिल़ में जाने का पर किसी ने मेरे कदमों को रोक लिया। बेखौफ सा था मन उम्मीदों के लिए पर अब खुद ने ही राहों को मोड़ लिया। कहने को पूरी दुनिया थी इस जहाँ में पर यहाँ खुद को अकेला सा कर लिया। मेरे मन का वहम था या हकीकत मेरी एक और बार हिम्मत से सपने को चुन लिया। Honestly like comment and follow guys...must see my # draupdiStory... रास्ते भूल गए थे जो हम...अब रास्ते पर आ ही गए.... Thanks to friend..Anand Mishra #yqdidi #yqdiary #infinitequotes #jyotichoudhary #raste