कभी-कभी खयालों में आ जाया करो मेरी बेबसी पर सितम ढाया न करो यूं मुझे रुलाया न करो सर्द हैं रातें ये आग बनकर तुम आ जाया करो शिद्दत से चाहा है कम से कम एक बार रूबरू हो जाया करो दे रही हैं सदायें ये हवायें कभी तो मेरे आगोश में आ जाया करो बेदर्द है जहां कौन है अपना यहां मेरे उजड़े चमन में बहार बनकर कभी तो आ जाया करो #आ_जाया_करो