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मेरी साइकिल मेरी साइकिल की यारों बात निराली थी उम

मेरी साइकिल  मेरी साइकिल की यारों बात निराली थी
उम्र था मेरा कच्चा पर हर बात श्यानी थी
पहली दफा जब मुलाकात मेरा हुआ था
मन में था उमन्ग ख़ुशियों का न ठिकाना था
फिजाओं में मचलता हवाओं में बिखरता था
साइकिल के संग में सुबह और शाम बीतता था
पल में एक गाँव से दूजा गाँव मैं जाता था
राह की मुश्किलों से कभी न मैं तो डरता था
गिर जाता था कभी तो भी दर्द भूल जाता था
ख़ुद से पहले मैं तो साइकिल को उठाता था
यारी उनसे कुछ इस कदर मैं तो निभाता था
ख़ुद से भी ज्यादा  साइकिल का ध्यान रखता था

©Raja Chandrakar #WorldBicycleDay2021  Sahil Garg k Smile Maneet Santosh Verma csthakur0.09
मेरी साइकिल  मेरी साइकिल की यारों बात निराली थी
उम्र था मेरा कच्चा पर हर बात श्यानी थी
पहली दफा जब मुलाकात मेरा हुआ था
मन में था उमन्ग ख़ुशियों का न ठिकाना था
फिजाओं में मचलता हवाओं में बिखरता था
साइकिल के संग में सुबह और शाम बीतता था
पल में एक गाँव से दूजा गाँव मैं जाता था
राह की मुश्किलों से कभी न मैं तो डरता था
गिर जाता था कभी तो भी दर्द भूल जाता था
ख़ुद से पहले मैं तो साइकिल को उठाता था
यारी उनसे कुछ इस कदर मैं तो निभाता था
ख़ुद से भी ज्यादा  साइकिल का ध्यान रखता था

©Raja Chandrakar #WorldBicycleDay2021  Sahil Garg k Smile Maneet Santosh Verma csthakur0.09