खुशबू-ए-हिना में, बिखर जाऊँ क्या, तेरी साँसों में कहीं, उतर जाऊँ क्या..!! बिना तेरे मैं यूँ, जी तो नहीं सकता, तू बोल तेरे साथ ही, मर जाऊँ क्या..!! तुम, इश्क़, जाम, कितने ही नशे हैं, सब यही चाहते हैं, सुधर जाऊँ क्या..!! मेरी बातों से जमाना, पिघलता नहीं, कुछ मोती भी चौखट, पर लाऊँ क्या..!! खुद को भी खो दिया, सुकूँ न मिला, अब खुद से ही मिलने, घर जाऊँ क्या..!! यहाँ हर किसी से, घबराहट है मुझको, अपने हमसाये से भी, डर जाऊँ क्या..!! ये वक़्त अब तुझसे, मिलने नहीं देता, तेरे होठों पर आकर, ठहर जाऊँ क्या..!! "मतवाला" तेरा था, है, हमेशा रहेगा, बस ये कहकर ही, गुजर जाऊँ क्या..!! Finally, after a long time, I penned down something close to my heart...💕 #udquotes #udghazals #हिना_की_खुशबू #वक़्त #ठहर #घर