मैं आइना था वो मेरा ख्याल रखती थी, मैं टूटता था तो चुन कर संभाल रखती थी, मैं आइना था वो मेरा ख्याल रखती थी, मैं टूटता था तो चुन कर संभाल रखती थी, हर एक मसले का हल वो निकल रखती थी, ज़हीन थी, मुझे हैरत में डाल रखती थी, मैं जब भी तर्क-ए-ताल्लुक की बात करता था, वो मुझे रोकती थी कल पे टाल रखती थी,