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इश्क़ का अंजाम करते थे हम किसी से प्यार अपनी जान स

इश्क़ का अंजाम  करते थे हम किसी से प्यार अपनी जान से ज्यादा कहते थे वह भी निभाएंगे अपना वादा 
समझा था मैं कि वह भी होगी मेरी राधा
 क्या पता था मुझे कि उसने तो सिर्फ अपना मतलब था साधा
 समझा न था मैं की रेगिस्तान में नहीं आती बहारें 
मुझे तो लूट लिया उसने, जो थे मेरे सहारे
 देखो आज तुम भी यहां की कोई कैसे मारे
 बर्बादी देखकर लौट गए तूफान किनारे से 
अजनबी लग रहे हैं आज ओ जो कभी हमारे थे 
लौट गए तूफान क्यों किनारे से #shailendra
इश्क़ का अंजाम  करते थे हम किसी से प्यार अपनी जान से ज्यादा कहते थे वह भी निभाएंगे अपना वादा 
समझा था मैं कि वह भी होगी मेरी राधा
 क्या पता था मुझे कि उसने तो सिर्फ अपना मतलब था साधा
 समझा न था मैं की रेगिस्तान में नहीं आती बहारें 
मुझे तो लूट लिया उसने, जो थे मेरे सहारे
 देखो आज तुम भी यहां की कोई कैसे मारे
 बर्बादी देखकर लौट गए तूफान किनारे से 
अजनबी लग रहे हैं आज ओ जो कभी हमारे थे 
लौट गए तूफान क्यों किनारे से #shailendra