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कोई आस पास सांसे बेच रहा गुब्बारे में भर के मालूम

कोई आस पास सांसे बेच रहा गुब्बारे में भर के 
मालूम क्यूं ??
         - Anjali Rai
Read in caption ...❤️ अनंत के सफ़र पर बस निकले ही थे 
अंत की तरफ़ बढ़ते हुए
सांसे बिखर रही रेत सी 
पर हम अपनी मुठ्ठी कस कर बंद किए 
क्यूं बिखरने दें ख़ुद को 
बस इंतजार में बैठे सदियों से मानो 
उस रेलगाड़ी की प्रतीक्षा में 
जो ख़्वाबों से लदी हुई है
कोई आस पास सांसे बेच रहा गुब्बारे में भर के 
मालूम क्यूं ??
         - Anjali Rai
Read in caption ...❤️ अनंत के सफ़र पर बस निकले ही थे 
अंत की तरफ़ बढ़ते हुए
सांसे बिखर रही रेत सी 
पर हम अपनी मुठ्ठी कस कर बंद किए 
क्यूं बिखरने दें ख़ुद को 
बस इंतजार में बैठे सदियों से मानो 
उस रेलगाड़ी की प्रतीक्षा में 
जो ख़्वाबों से लदी हुई है