अजब उलझनें हैं ,अजब ख़्वाहिशें हैं , नहीं पूरी होती ये अजमाइशे हैं , मशवरा दे रहे हैं हमें इस तरह , पूरी होती नहीं इनकी समझाइसे हैं ©Shepandra #mypoem#follow me for new poems