ज़िद्दी की ज़िद्द अनुशीर्षक में;//👇👇 अक्सर हम सबने सुना है अति होती है हर की खराब ज़िद्द भी उतना करो तुम जिससे स्वयं और दूसरों को ना हो कोई दर्द बड़ा इसी ज़िद्द में ना जाने कितने रिश्ते टूट जाते अपनी ज़िद्द में एक दूजे का दिल तोड़ जाते ज़िद्दी की ज़िद्द में अपना ही घर तोड़ का छोड़ जाते ज़िद्द के ज़िद्द में जीवन घर में आग लगाते ज़िद्द में इंसान गुरूर पाल लेता स्वयं को परेशानी में डाल लेता ज़िद्द उतना ही अच्छा जिससे हम अपना जीवन संवार सकें किसी रिश्ते को हम प्यार से संभाल सकें अपनी ज़िद्द में स्वयं को या दूसरे को ना बर्बाद करना ज़िद्द बस इतना देना प्रभु