शमां न जला दिलजलों के सामने, अँधेरों से मोहब्बत हो गई हमको। रोशनी नज़र आई जो दुनिया की भीड़ में, दिल जला है किसी का ख़बर हो गई हमको। पलकों का साया हर नज़र की किस्मत कहाँ, खुलते ही आँखे ख़्वाबों की क़दर हो गई हमको। अमर है हुस्न इश्क़ क्या जिया है, जली शमा परवाने की फ़िकर हो गई हमको। न जला दिल दिलजले समझाते रहे, ख़ूब बहाए आँसू मोहब्बत हो गई हमको। रविकुमार ( अंदाज़ ए बयाँ ) शमां न जला दिलजलों के सामने, अँधेरों से मोहब्बत हो गई हमको। रोशनी नज़र आई जो दुनिया की भीड़ में, दिल जला है किसी का ख़बर हो गई हमको। पलकों का साया हर नज़र की किस्मत कहाँ, खुलते ही आँखे ख़्वाबों की क़दर हो गई हमको। अमर है हुस्न इश्क़ क्या जिया है, जली शमा परवाने की फ़िकर हो गई हमको।