काेलाब (अनुशीर्षक में पढें) सूरज को देख ताप में, यूँ हंस दिया आकाश ने तंज जैसे कोई गहरा, कस दिया उपहास में बोला कि ऐ ढल जाओ तुम, सब चाहते हैं चांद को मैं गवाह हूँ तुझ से ज्यादा, मांगते हैं चांद को महबूब की तुलना सभी करते हैं देखो चांद से कितने दफा मैंने है देखा, करते बातें चांद से इन सितारों की भी शोभा को बढाता चांद है ईद हो या पर्व कोई, जगमगाता चांद है