अच्छे से मालूम है मुझे वो करता है मेरी फिक्र। अपनी रहमतों का वो कभी करता नहीं ज़िक्र। भले ही मेरी नजर के सामने न सही मुर्शिद मेरा मगर सात समुंद्र पार से भी करता है मुझपे नजर। उससे कुछ भी छुपे नहीं है हालात-ए-हयात मेरे उसे हर पल की मेरे हरदम रहती है हर खबर। फिक्र