इनतेज़ार में उसके हर इक रात गुज़ारी है, ना दिन में रहा वो सुकून,ना नींद है रातों को, ना जाने लगी मुझे ये कैसी बीमारी है। ना वो नज़ारा अब आँखों को मेरी भाता है, ना दिल रहा अब मेरे पास,मुझे तो अब दिमाग चलाता है, तेरे दीदार बिना तो एक-एक पल मुझपे भारी है, तुझे क्या पता ऐ दोस्त! इंतेज़ार में उसके हर इक रात मैंने गुज़ारी है। ©Umme Habiba इंतेज़ार #Trending #nojoto #nojotoinsta #ig_writer_habiba #NightPath