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पृथक पथों पर चलते चलते, यूँ पथराई आंखें सी हैं। म

पृथक पथों पर चलते चलते, 
यूँ पथराई आंखें सी हैं।
मन मयूर ज्यूँ कानन गुजरे, 
यूँ बिना पुष्प साखें सी हैं।

- अश्वनी दीक्षित #dixitg
पृथक पथों पर चलते चलते, 
यूँ पथराई आंखें सी हैं।
मन मयूर ज्यूँ कानन गुजरे, 
यूँ बिना पुष्प साखें सी हैं।

- अश्वनी दीक्षित #dixitg