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मेरी आहट पहचान कर दरवाजे पर दस्तक देती है, कुछ कहन

मेरी आहट पहचान कर
दरवाजे पर दस्तक देती है,
कुछ कहने की जरूरत नहीं होती
सुख-दुख वह खुद से जान लेती है,
क्या सही है क्या गलत है बताती है
मेरे हर फैसले पर ध्यान देती है,
कोई मोल ही नहीं है इस जहां में उसका
जैसी भी हो*मां**मां* होती है..!

©Himanshu Prajapati #Glazing मेरी आहट पहचान कर
दरवाजे पर दस्तक देती है,
कुछ कहने की जरूरत नहीं होती
सुख-दुख वह खुद से जान लेती है,
क्या सही है क्या गलत है बताती है
मेरे हर फैसले पर ध्यान देती है,
कोई मोल ही नहीं है इस जहां में उसका
जैसी भी हो*मां**मां* होती है..!
मेरी आहट पहचान कर
दरवाजे पर दस्तक देती है,
कुछ कहने की जरूरत नहीं होती
सुख-दुख वह खुद से जान लेती है,
क्या सही है क्या गलत है बताती है
मेरे हर फैसले पर ध्यान देती है,
कोई मोल ही नहीं है इस जहां में उसका
जैसी भी हो*मां**मां* होती है..!

©Himanshu Prajapati #Glazing मेरी आहट पहचान कर
दरवाजे पर दस्तक देती है,
कुछ कहने की जरूरत नहीं होती
सुख-दुख वह खुद से जान लेती है,
क्या सही है क्या गलत है बताती है
मेरे हर फैसले पर ध्यान देती है,
कोई मोल ही नहीं है इस जहां में उसका
जैसी भी हो*मां**मां* होती है..!

#Glazing मेरी आहट पहचान कर दरवाजे पर दस्तक देती है, कुछ कहने की जरूरत नहीं होती सुख-दुख वह खुद से जान लेती है, क्या सही है क्या गलत है बताती है मेरे हर फैसले पर ध्यान देती है, कोई मोल ही नहीं है इस जहां में उसका जैसी भी हो*मां**मां* होती है..! #विचार