पूछती हूँ कोई बात वो बात का जवाब नही देते, नींदो मे चाहती हूँ उनके आने का ख्वाब, पर वो ऐसा कोई ख्वाब नही देते, कदर करती हूँ उनकी हर भावनाओं की, पर वो है कि कोई भाव ही नही देते, देते है बेरूखाई से जख्म पे जख्म इतने, प्यार के मरहम से उन्हे कोई भराव नही देते, चलते है चाल पे चाल इतनी सोचते है हर दाव उनका है , पर जिस दिन हमने पलट कर चल दी बाजी , फिर हम उनका चलने कोई दाव नही देते,