जनता उलझी धर्मो मे और नेता खोखले विचारो मे अजब सी तानाशाही है राजनिती के गलियारों मे ना मिटी गरीबी ना आत्म हत्या रुकी देश के किसानो की डिगरी लेके भटके दर दर मायूसी छाई बेरोजगारो मे अजब सी तानाशाही है राजनिती के गलियारों में कवि राज गुप्ता भाटापारा छततीसगढ