गुज़ारिश होती है ख़ुशियों से कभी दर पे हमारे भी आए , जब भी ग़म का दामन सर पे चढ़ अश्कों से यारी निभाए। दुनिया झूठ की चादर ओढ़े हुए आँखें मुंदे सब देख रही, ग़लत क्या है सही क्या है सब एक दूजे से ये पूछ रही। दुनिया की रिवायतों का क्या यही असल पैग़ाम होगा, जो ईमानदारी के राह में खड़ा पहले वही नीलाम होगा। इक सहर हो मुस्कान भरी ना फ़िक्र दुनिया की दिल में, गुलशन बने हर मंज़र ना अधूरी रहे आरज़ू किसी मन में। जतन और सब्र से जैसे बगिया में माली फूल खिलाए, ख़ुदा की बरकरार रहमत हो ये सब्र इक दिन रंग लाए। ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1094 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।