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धीरे धीरे तुमसे दूर चली जाऊंगी वक़्त के बदलते करवट

धीरे धीरे तुमसे दूर चली जाऊंगी
वक़्त के बदलते करवटों में ख़ुद को संभालती जाऊंगी
तुम देख लेना जब तुम बुलाओगे मुझे
अपने यादों में लेकिन तेरे दर्द से मैं अंजान रहूंगी
तुम रोते रहोगे मुझसे मिलने को
और मैं तुमसे अंजान बनकर मिलूंगी

कुछ मेरे दिल के हिस्सों में 
तकलीफ़ अभी भी बेहिसाब दफन राज़ हैं
करूं क्या ख़ुद से सवाल मैं
जवाब तो ढूंढ़ने से भी मुझे नहीं मिलेगा
टूट रही मैं, शायद जुड़ न पाऊं कभी
आंखो में आंसुओ को दबाती जाऊंगी
मुस्कुराहट का सिलसिला अपने लबों को दे जाऊंगी
तुम रोते रहोगे मुझसे मिलने को
और मैं तुमसे अंजान बनकर मिलूंगी

लोगों की भीड़ में शामिल होती तो
जीने का अधिकार छीन लेते
भड़ी महफ़िल को मेरी हक़ीक़त बताते
पंख फैला उड़ पाती मै 
उससे पहले मेरे हौसलों को कुचल देते
हाय ये मेरी क़िस्मत किस तरह मुझे
तन्हाई दे गई इसे ख़ामोशी से लिखती जाऊंगी
तुम रोते रहोगे मुझसे मिलने को
और मैं तुमसे अंजान बनकर मिलूंगी




 चलो अच्छा हुआ तुम खुद से मुझे दूर किए
तेरे दिए दर्द को महसूस हमने भी है किए
जुड़ न पाऊंगी कभी तेरे इश्क़ को पाकर मैं
अच्छा होगा तुम अपनी जिंदगी को ही
कहानी का अध्याय मान 
फ़िर न लौटूंगी मैं तेरे ख्यालों में,,,,,,,,,,,,

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धीरे धीरे तुमसे दूर चली जाऊंगी
वक़्त के बदलते करवटों में ख़ुद को संभालती जाऊंगी
तुम देख लेना जब तुम बुलाओगे मुझे
अपने यादों में लेकिन तेरे दर्द से मैं अंजान रहूंगी
तुम रोते रहोगे मुझसे मिलने को
और मैं तुमसे अंजान बनकर मिलूंगी

कुछ मेरे दिल के हिस्सों में 
तकलीफ़ अभी भी बेहिसाब दफन राज़ हैं
करूं क्या ख़ुद से सवाल मैं
जवाब तो ढूंढ़ने से भी मुझे नहीं मिलेगा
टूट रही मैं, शायद जुड़ न पाऊं कभी
आंखो में आंसुओ को दबाती जाऊंगी
मुस्कुराहट का सिलसिला अपने लबों को दे जाऊंगी
तुम रोते रहोगे मुझसे मिलने को
और मैं तुमसे अंजान बनकर मिलूंगी

लोगों की भीड़ में शामिल होती तो
जीने का अधिकार छीन लेते
भड़ी महफ़िल को मेरी हक़ीक़त बताते
पंख फैला उड़ पाती मै 
उससे पहले मेरे हौसलों को कुचल देते
हाय ये मेरी क़िस्मत किस तरह मुझे
तन्हाई दे गई इसे ख़ामोशी से लिखती जाऊंगी
तुम रोते रहोगे मुझसे मिलने को
और मैं तुमसे अंजान बनकर मिलूंगी




 चलो अच्छा हुआ तुम खुद से मुझे दूर किए
तेरे दिए दर्द को महसूस हमने भी है किए
जुड़ न पाऊंगी कभी तेरे इश्क़ को पाकर मैं
अच्छा होगा तुम अपनी जिंदगी को ही
कहानी का अध्याय मान 
फ़िर न लौटूंगी मैं तेरे ख्यालों में,,,,,,,,,,,,

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