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मेरि हर नजर से लहु टपकता है दिल भूलना हि नहि चाहत

मेरि हर नजर से लहु टपकता है 
दिल भूलना हि नहि चाहता 
 ऊसे बेवफा मोहब्बत को
ये जि‌स्म बड़ा तड़पता है 
ऊसे बिछड़े जमाना हो गया
 सोचता हु हर रोज ऊसे 
मानो जैसे ये कल कि ये बात हो
रातो को मै बहोत तड़पता हु
जख्मि आशिक हु मै अब साहब 
कोई खेले फिर तोड़े 
अब मै मोहब्बत hi नहि करता हु

©سید انوار حسین
  Meri Nazar se lahu tapakta hai