नहीं बनना मुझे गालिब ना रसखान बनना हैं, सियासत करके भी नहीं वक्त बर्बाद करना हैं, थमा दो हाथ जो अपना तुम मुझको हथेली में, तुम्हें पा करके मुझको सिर्फ सभ्य इंसान बनना हैं! सभ्य इंसान