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आज क्यों सब प्यारा प्यारा सा दिख रहा चांद खिड़की

आज क्यों सब प्यारा प्यारा सा दिख रहा 
चांद खिड़की पर आ गया तो उजाला सा दिख रहा 
आज जाने क्यों नशे में सब दूर दूर दिख रहें 
आज उसी के कंधे से जग सारा दिख रहा
आज भी तो सूरज की चमक उतनी ही तेज थी 
आज क्यों मुझे हवाओं का सहारा सा दिख रहा
आज सब कुछ क्यों प्यारा प्यारा सा दिख रहा 
आज जाने क्यों मुझे नींद नहीं आ रही,
कल का सारा क्यों नजारा दिख रहा
हर शख्स में बस वही नजर आ रही 
आज सब कुछ प्यारा प्यारा सा दिख रहा
आंखे बंद हो खुली हों,
सब पर अब उसी का राज है 
मानो सब कुछ आधे से ज्यादा दिख रहा 
खिड़कियां खोल के रखा है दीदार की खातिर 
आज पूनम का चाँद भी गुब्बारा सा दिख रहा 
आज सब कुछ क्यों प्यारा प्यारा सा दिख रहा

©"Narayan" ## आज सब कुछ प्यारा प्यारा सा दिख रहा
आज क्यों सब प्यारा प्यारा सा दिख रहा 
चांद खिड़की पर आ गया तो उजाला सा दिख रहा 
आज जाने क्यों नशे में सब दूर दूर दिख रहें 
आज उसी के कंधे से जग सारा दिख रहा
आज भी तो सूरज की चमक उतनी ही तेज थी 
आज क्यों मुझे हवाओं का सहारा सा दिख रहा
आज सब कुछ क्यों प्यारा प्यारा सा दिख रहा 
आज जाने क्यों मुझे नींद नहीं आ रही,
कल का सारा क्यों नजारा दिख रहा
हर शख्स में बस वही नजर आ रही 
आज सब कुछ प्यारा प्यारा सा दिख रहा
आंखे बंद हो खुली हों,
सब पर अब उसी का राज है 
मानो सब कुछ आधे से ज्यादा दिख रहा 
खिड़कियां खोल के रखा है दीदार की खातिर 
आज पूनम का चाँद भी गुब्बारा सा दिख रहा 
आज सब कुछ क्यों प्यारा प्यारा सा दिख रहा

©"Narayan" ## आज सब कुछ प्यारा प्यारा सा दिख रहा