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बखूबी समझता हूँ मैं रिश्तों की अहमियत इसलिए मैं इस

बखूबी समझता हूँ मैं रिश्तों की अहमियत इसलिए मैं इस रिश्ते रुपी पेड़ को, विश्वास रुपी मिट्टी में, स्नेह-प्रेम रुपी जल से सींच कर पुष्पित-पल्लवित करता जाता हूँ, पर शायद समय और अर्थ के मोल के सामने मेरे रिश्ते का पलड़ा हल्का सा प्रतीत होता है !
"अंकित आजाद गुप्ता"
 #रिश्तों_की_अहमियत
बखूबी समझता हूँ मैं रिश्तों की अहमियत इसलिए मैं इस रिश्ते रुपी पेड़ को, विश्वास रुपी मिट्टी में, स्नेह-प्रेम रुपी जल से सींच कर पुष्पित-पल्लवित करता जाता हूँ, पर शायद समय और अर्थ के मोल के सामने मेरे रिश्ते का पलड़ा हल्का सा प्रतीत होता है !
"अंकित आजाद गुप्ता"
 #रिश्तों_की_अहमियत