हमने क़त्ल किया था,आँसुओं का कभी बारिशें तो बस सज़ा दे रही हैं लाज़मी था किसी रोज़,मैं भी टूट जाऊँ तारीख़ें तो बस मज़ा ले रही हैं कहां तुमको ख़बर थी,कहां हमको पता था धड़कनें तो बस रज़ा दे रही हैं उसने रस्में तोड़ दी थीं,हमने अलविदा कह दिया था दूरियाँ तो बस इल्तिज़ा ले रही हैं तुम डोर बन गई थी मैं तुमसे बंध गया था गाँठें तो बस दुआ दे रही हैं कोरा कागज़ रख दिया था,मैनें उससे छिपाकर सिसकियाँ तो बस विदा ले रही हैं... © trehan abhishek #कत्ल #आँसू #बारिशें #दुआ #manawoawaratha