पिता!तुझसे गिला है न शिकायत है करम बेहिसाब तेरा,बेइंतहा तेरी इनायत है मेरे दिल पर तेरी सोच की इबारत है तुझसा ही बनूँ, यही मेरी चाहत है #, पिता!तेरा करम बेहिसाब है