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दौलत भूखमरी की भीड़ में, मैं कितना संभलता जा रहा ह

दौलत भूखमरी की भीड़ में, मैं कितना संभलता जा रहा हूं।
समझ नहीं आता कुछ महीनों से, मैं कितना बदलता जा रहा हूं।।

दौलत भूखमरी की भीड़ में, मैं कितना संभलता जा रहा हूं। समझ नहीं आता कुछ महीनों से, मैं कितना बदलता जा रहा हूं।।

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