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शांत बैठा हूं... दुनिया की हर बेरुखी को सहता हूं.

शांत बैठा हूं... 
दुनिया की हर बेरुखी को सहता हूं... 
मैं शांत बैठा हूं.... 

कुछ लोग मेरी बुराई कर रहे हैं... 
कुछ लोग मेरे गम में गम भर रहे हैं.... 
मुंह के आगे सब अपने बन रहे हैं...... 

मैं सब जानता हूं... 
फिर भी शांत बैठा हूं... 
दुनिया की हर बेरुखी को सहता हूं... 
मैं शांत बैठा हूं... 

कभी अरुण सा ठंडा  हो रहा हूं
 तो कभी ,
सूरज सा  तप रहा हु
 मालूम नही कब पृथ्वी  हो पाउँगा...!

✍️Manoj s. Kanyal

©Manoj S. Kanyal #shayri #Trending #deep_thoughts #Poetry #kavita

SHANT BETHA HU
शांत बैठा हूं... 
दुनिया की हर बेरुखी को सहता हूं... 
मैं शांत बैठा हूं.... 

कुछ लोग मेरी बुराई कर रहे हैं... 
कुछ लोग मेरे गम में गम भर रहे हैं.... 
मुंह के आगे सब अपने बन रहे हैं...... 

मैं सब जानता हूं... 
फिर भी शांत बैठा हूं... 
दुनिया की हर बेरुखी को सहता हूं... 
मैं शांत बैठा हूं... 

कभी अरुण सा ठंडा  हो रहा हूं
 तो कभी ,
सूरज सा  तप रहा हु
 मालूम नही कब पृथ्वी  हो पाउँगा...!

✍️Manoj s. Kanyal

©Manoj S. Kanyal #shayri #Trending #deep_thoughts #Poetry #kavita

SHANT BETHA HU
manojskanyal9336

KANYAL

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