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"कदम दो चार ग़र साथ चल लेते तो अगर मंजिल ना भी मिल

"कदम दो चार ग़र साथ चल लेते तो अगर 
मंजिल ना भी मिलती लेकिन यादें तो रहती
जो मिल जाते हमें तुम इस पथरीले डगर में
ताउम्र तू साथ रहे ये फरियादें तो रहती"
 मगर तुम चले नहीं........
हम चले मगर कहीं पहुंचे नहीं!
#twinFlame

©सदैव
  #UskeHaath