प्रकाश का समुद्र ------- सूर्य को निगल गया हो ग्रहण चंद्रमा भी अंधेरों की भेंट चढ़ गया हो जब काली घोर घटाएं छाई हो आसमान में कहीं कोई सुराख ना हो रौशनी का दूर दूर तलक नजर न आये कहीं कोई नक्षत्र-तारा समूचा संसार कोप भवन का पर्याय लग रहा हो जब अंधेरा ही प्रकाश का समानार्थी समझा जा रहा हो तब भ्रमवश नही पूरे विश्वास के साथ यदि मान बैठे जुगनू स्वयं को प्रकाश का समुद्र तो गलत नही है गलत नही है इसलिए क्योंकि वह ऐसे वक्त में स्वयं को अजेय और परवरदिगार साबित किया है जब बड़े-बड़े सिकंदर व धुरंधर जकड़े हुए थे दुश्मन के शिकंजे में। •••• नरेन्द्र सोनकर 'कुमार सोनकरन' प्रयागराज 🙏 ©Narendra Sonkar प्रकाश का समुद्र