कभी बादल की तरह साया बनके फिरता है और कभी मायूसी में आंसु बनके गिरता है तेरा वजूद मेरे साथ-साथ चलता है ऐसा लगता तू मेरे आस-पास रहता है *_अशरफ फ़ानी कबीर कभी बादलों की तरह साया बनके फिरता है और कभी मायूसी में आंसु बनके गिरता है तेरा वजूद मेरे साथ-साथ चलता है ऐसा लगता तू मेरे आस-पास रहता है *_अशरफ फ़ानी कबीर