साँसे चल रही हे मगर महसूस अब होती नही है ... धड़कने कानो तक सुन जाऐ इनमे वो असर अब नही है ... आँखे भी बेहाल हो गई है अब तेरे इँतज़ार मे केसे पढूँ चेहरा किसी का वो पारखी नज़र अब नही है .... by ❤ mahi #ThrowbackThursday