प्रकृति की रक्षा हमारा प्रथम कर्तव्य फिर भी आवश्यक हो गया इस पर देना वक्तव्य स्वार्थी मानव संसाधनों का दोहन करता जाता है प्रकोप दिखाती प्रकृति तब बाद में पछताता है अपने भोजन के लिए करता जीवों का शिकार प्रकृति की रक्षा हेतु उचित है शाकाहार प्रकृति की सुंदरता पर क्यों अंकुश लगाता है रे !मूढ़ मानव तू है दास प्रकृति का,क्यों ऐसा भूल जाता है प्रकृति के साथ सामंजस्य बना कर चलो जननी और बालक के नाते का मान रखो कुछ नहीं हो तुम प्रकृति बिन 'अनाम' रौद्र रूप जो दिखाए सब हो जाए तमाम। #रमज़ान_कोराकाग़ज़ ☘️अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस☘️ 28 वें दिन की रचना