बनते बिगड़ते रिशते कभी जोड़ते तो कभी तोड़ते ये रिशते कभी रूलाते तो कभी हँसाते ये रिशते कभी भीड़ तो कभी तन्हा कर जाते ये रिशते कभी बेचैनिया तो कभी सुकुन दे जाते ये रिशते कभी अपने तो कभी बेगाने ये रिशते जानते है रूठंगे,टूटंगे, छूटंगे फिर भी ना जाने क्यो बनाते है,हम ये रिशते #रिशते