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ज़िंदगी बस भाग रही है सबकी और रुकना कोई नहीं चाहता

ज़िंदगी बस भाग रही है सबकी और रुकना कोई नहीं चाहता,,,
"मैं" सब में है एक दूसरे से बढ़कर किसी के आगे झुकना कोई नहीं चाहता,,,
कामयाबी देखते है सब और काबिलियत को नीचा दिखा रहा है,,,
ये कैसा वक़्त आ रहा है... part 6
ज़िंदगी बस भाग रही है सबकी और रुकना कोई नहीं चाहता,,,
"मैं" सब में है एक दूसरे से बढ़कर किसी के आगे झुकना कोई नहीं चाहता,,,
कामयाबी देखते है सब और काबिलियत को नीचा दिखा रहा है,,,
ये कैसा वक़्त आ रहा है... part 6