कभी बाबू कभी सोना , हम दोनो का यूँ एक दूजे मैं खोना। मेरा उसकी झुल्फो से खेलना, उसका भी मुझसे लिपट कर सोना। कस लेना उसे बाहो में भर कर। उसके माथे को धीरे से अपने अधरो से छूना। खुद को पुरा उसके हवाले कर देना , और उसका भी मुझे देख कर आँखो का झुकाना। कुछ बयाँ नही कर सकता वो एहसास क्या था , चोंट उसको लगना और मेरी आँखो का रोना। कभी बाबू कभी सोना , हम दोनो का यूँ एक दूजे मैं खोना। टुट ते तारे से उसको ही मांगना, उसके लिये रात भर जागना । एक अलग ही नशा था उस वक़्त के गलियारे में, उसकी गलियो मैं बेवजह मेरा चक्कर काटना। उसका मेरी फिक्र मुझसे ज्यादा करना , उसका ,मेरा बच्चो की तरह ख्याल रखना। शब्दो के बस की नही जो समेट सके उन लम्हो को, मेरा चुप रहना और उसका आँखो से बोलना। कभी बाबू क्क़्भी सोना .................. #इशक़