_________________________ शिक़ायत है तुमसे मेरे मेहबूब मेरी गलियों में तुम आते क्यों नहीं नज़रें तरस गई तुम्हें देखने को और तुम ख़्वाबों से जाते क्यों नहीं मुझे तो रखना है रिश्ता हकीक़त से इन वीरानियाँ को तुम तोड़ते क्यों नहीं आंखें पथरा गई तेरे इंतज़ार में आकर मुझे गले से लगाते क्यों नहीं आज भी बेपनाह मोहब्बत तुम से है और तुम ये बात समझते क्यों नहीं इन कोरे कागजों पर सिर्फ तुम्हें लिखा है एक बार मेरे हमदम तुम पढ़ते क्यों नहीं अब ये शिकवा-शिकायत दफ़न करों Queen""वो तुम्हारी आवाज़ सुनते ही नहीं !!! ♥️ Challenge-573 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।