माघ माह मंदसमीर,सिहरन तन समाये। डाल-डाल भर मंजरी,मधुकर मन लुभाये।। फाल्गुन फूहड़ प्रतिफलक, झामक झलक जाये। निर्गुण पछोड़ जोगीरा, झूम झूमक गाये ।। ©RAVINANDAN Tiwari #श्रृंगार_कच्ची_सड़क