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इंसानों के व्यवहार सरीखा अब कुदरत का भी व्यवहार हो

इंसानों के व्यवहार सरीखा अब कुदरत का भी व्यवहार हो गया है,
जरूरत पर साथ देता नही..अब ये भी कितना समझदार हो गया है,
जहाँ थोड़ी जरूरत है पानी की..वहाँ जी भरकर बारिश करता है,
और कहीं पानी बिना बेहाल इंसान..दो बूंद की गुजारिश करता है,
सब बेबस हैं..चलता जोर नही..आगे इसके सब लाचार हो गया है,
अब इंसानो के व्यवहार सरीखा कुदरत का भी व्यवहार हो गया है।।

©Rajesh Tiwari कुदरत का व्यवहार
इंसानों के व्यवहार सरीखा अब कुदरत का भी व्यवहार हो गया है,
जरूरत पर साथ देता नही..अब ये भी कितना समझदार हो गया है,
जहाँ थोड़ी जरूरत है पानी की..वहाँ जी भरकर बारिश करता है,
और कहीं पानी बिना बेहाल इंसान..दो बूंद की गुजारिश करता है,
सब बेबस हैं..चलता जोर नही..आगे इसके सब लाचार हो गया है,
अब इंसानो के व्यवहार सरीखा कुदरत का भी व्यवहार हो गया है।।

©Rajesh Tiwari कुदरत का व्यवहार

कुदरत का व्यवहार #विचार