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बनते बनते बिगड़ गई है क़िसमत हाथ से जो वो छूट गई है,

बनते बनते बिगड़ गई है क़िसमत
हाथ से जो वो छूट गई है,,
मिली थी हमें दूर से ही सरकारी नौकरी,
स्कूल मिलने से पहले ही टूट गई है,,
उम्मीद थी के हम भी उनको पढ़ा देंगें दो शब्द
पर मिलने से पहले ही छूट गई है
बनते बनते बिगड़ गई है।

©Dr Aruna KP Tondak
  #अरुणा #Aruna